यह जो महंत बैठे हैं दुर्गा के कुंड पर
अवतार बन के कूदेंगे परियों के झुंड पर। - इंशा
जौक जो मदरसे के बिगड़े हुए हैं मुल्ला
उनको मैखाने में ले आओ,संवर जाएंगे। - जौक
आदमीअत और शै है इलम है कुछ और शै
कितना तोते को पढाया पर वो हैवां रहा । - जौक
मिरे सलीके से , मेरी निभी मुहब्बत में
तमाम उम्र , मैं नाकामियों से कम लिया। - मीर
आशना हों कान क्या इंसान की फरियाद से
शैख को फुरसत नहीं मिलती खुदा की याद से। - चकबस्त
गया शैतान मारा एक सिजदे के न करने से
अगर लाखों बरस सिजदे में सर मारा तो क्या मारा। - जौक
क़ैद-ए-हयात-ओ-बंद-ए-गम,असल में दोनो एक हैं
मौत से पहले आदमी गम से नजात पाये क्यों । - ग़ालिब
चली सिम्ते - गैब से इक हवा कि चमन सुरूर का जल गया
मगर एक शाखे - निहाले - गम जिसे दिल कहें वो हरी रही। - सिराज
जो और का ऊंचा बोल करे तो उसका बोल भी बाला है
और दे पटके तो उसको भी कोई और पटकने वाला है
बे-जुल्म-वो-खता जिस जालिम ने मजलूम जिब्ह कर डाला है
उस जालिम के भी लोहू का फिर बहता नद्दी नाला है । -' नजीर' अकबराबादी
अवतार बन के कूदेंगे परियों के झुंड पर। - इंशा
जौक जो मदरसे के बिगड़े हुए हैं मुल्ला
उनको मैखाने में ले आओ,संवर जाएंगे। - जौक
आदमीअत और शै है इलम है कुछ और शै
कितना तोते को पढाया पर वो हैवां रहा । - जौक
मिरे सलीके से , मेरी निभी मुहब्बत में
तमाम उम्र , मैं नाकामियों से कम लिया। - मीर
आशना हों कान क्या इंसान की फरियाद से
शैख को फुरसत नहीं मिलती खुदा की याद से। - चकबस्त
गया शैतान मारा एक सिजदे के न करने से
अगर लाखों बरस सिजदे में सर मारा तो क्या मारा। - जौक
क़ैद-ए-हयात-ओ-बंद-ए-गम,असल में दोनो एक हैं
मौत से पहले आदमी गम से नजात पाये क्यों । - ग़ालिब
चली सिम्ते - गैब से इक हवा कि चमन सुरूर का जल गया
मगर एक शाखे - निहाले - गम जिसे दिल कहें वो हरी रही। - सिराज
जो और का ऊंचा बोल करे तो उसका बोल भी बाला है
और दे पटके तो उसको भी कोई और पटकने वाला है
बे-जुल्म-वो-खता जिस जालिम ने मजलूम जिब्ह कर डाला है
उस जालिम के भी लोहू का फिर बहता नद्दी नाला है । -' नजीर' अकबराबादी
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